Yaaroo dosti badi hi haseen hai.... |
माँ , बाप , भाई , बहन और हमसफ़र के अलावा हम एक और प्यारे से रिश्ते से जुड़ते है और वो रिश्ता है जिसे हम "दोस्ती " के नाम से जानते है। ये रिश्ता बाक़ी रिश्तों जितना प्यारा , मासूम और दिल के बेहद क़रीब होता है। अगर मै अपनी ज़िन्दगी का जायज़ा लू तो मैंने भी हर मोड़ और हर क़दम पर बहुत से दोस्त पाये और सब के साथ मैंने बहुत अच्छा वक़्त गुज़ारा है। हम हर किसी में एक सच्चे दोस्त की तलाश करते है। और जब वो मिल जाते है तो वो क्या कहते ज़िन्दगी बड़ी "कूल " हो जाती है। दोस्त का नाम आते ही उसके साथ की गयी सारी शरारतें याद आ जाती है और चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान आ जाती है। दोस्त एक ऐसा साथ होता है जो ज़िन्दगी के सारे गम को भुला देता है। और इसी लिए दोस्त की अहमियत हर रिश्ते से बढ़ कर होती है।
पर कभी कभी इसी दोस्ती में कुछ गलतफहमियां आ जाती है और हम इनमे उलझ कर उसी दोस्त से बेइंतिहा फासले बढ़ा लेते है। तब वही दोस्ती नफरत में तब्दील हो जाती है। पर मैं ये पूछना चाहती हूँ की क्या इतनी कमज़ोर होती है दोस्ती जो कुछ गलतफहमियों के आने से टूट जाती है??? अगर ऐसा था तो वो दोस्ती सच्ची कैसे हो सकती है। कैसे कोई साथ बिताये वो सारे लम्हें एक पल में भूल सकता है।
यारोँ ज़िन्दगी बहुत ही छोटी है इस लिए अपने अज़ीज़ दोस्तोँ को संभाल कर रखो। ज़रुरत होती है तो बस एक शुरुवात की , भूल जाओ जो भी कुछ हुआ , माफ़ करके एक नयी शुरुवात का नाम ही दोस्ती है क्यूँकि "ऐ दोस्त तुझसे ना कभी नफरत थी और ना कभी होगी "
ये लाइन्स मेरे कुछ ख़ास दोस्तोँ लिए है ……
वो दिन भी क्या अजीब थे ,
जब हम कितने क़रीब थे।
अनजान जगह के बीच मिली थी हमें हमारी पहचान ,
लोग कहते थे हमें एक दुसरे की जान।
चाहूँ बस खत्म हो जाए सारी कन्फयूज़न ,
और फिर एक बार फिर बन जाये S2VA का कॉम्बिनेशन।
MISS YOU FRNZ.......
AND YOU OL VL LIVE IN MY HEART FOREVER......:-)