![]() |
MAASOOM RISHTEY |
ज़िन्दगी हमेँ बहुत कुछ सिखाती है और उसी सीख़ से हम आगे आने वाली ज़िन्दगी के कई महत्वपूर्ण फैसले लेते है। यही ज़िन्दगी हमें बेहद प्यारा तोहफ़ा देती है और वो है 'रिश्तें ' .....
चाहे वो माता -पिता का हो, भाई-बहन का, एक सच्चे दोस्त का, या एक सच्ची मोहोब्बत का। हर रिश्ते का अपना एक अलग वज़ूद होता है। पर यह रिश्ते भी बड़े अजीब होते है। मिल जाये तो हज़ारों खुशियां दे जाते है वरना उतने ही आँसू भी।
अब बात आती है इन्हे संभालने की क्युंकि अगर रिश्तोँ का पहिया ज़रा भी लड़खड़ाता है तो ज़िन्दगी आगे बढ़ ही नहीं पाती। और उसी से सारी परेशानियाँ भी जुड़ी होती है। जो लोग कभी आपके इतने खास होते है वही छोटी -छोटी बातों की वज़ह से दूर चले जाते है।
इन्हीं दूरियों को मिटाता है 'रिश्तों का पहिया। ' यह पहिया प्रेम से भरा हुआ होता है जो आपसी मन- मुटाओ को दूर कर ज़िन्दगी को आगे बढ़ने देता है। चाहे को कितनी भी तकलीफ़ें झेलनी पड़े या कितना ही मुश्किल भरा हो इसका सफर अगर हमारा रिश्ता मज़बूत है तो हर परेशानी को यह पहिया झेल सकता है और अंत में यह हमें सही रास्ते पर ले ही आता है। ज़रूरत होती है तो बस समझदारी की। अगर हमने कोई रिश्ता बनाया है तो उसे निभाना भी आना चाहिए। क्युंकि गाड़ी कभी एक पहिये के सहारे नहीं चलती है। दोनों पहियों का बरा -बर का योगदान होता है। वैसे ही रिश्तें केवल एक तरफ़ा नहीं निभाए जाते , दोनों को एकजुट होकर रहना होता है। तभी ज़िन्दगी की गाड़ी सही पटरी पर रहती है। वरना ग़ालिब 'बिखरे पत्ते किसी काम के नहीं होते। '
थोड़ी सी समझदारी , थोड़ा सा विश्वास , और थोड़ा सा प्यार ही काफी है इन पहियों को सँभालने के लिए। ज़िन्दगी आज है कल नहीं पर जो रिश्तें बनाकर जाते है उनकी यादें सालों -साल रह जाती है। तो रिश्ते के इस पहिये को हमेशा संभाल कर रखना चाहिए, तभी ज़िन्दगी खुशाल रहती है।
![]() |
alwaz be together..... |
No comments:
Post a Comment